ना प्रशासन का डर,ना सीएमओ का डर, और ना ही देवरिया के मीडिया से डर, जीते जी चार कंधों का सहारा आखिर कब तक रहेगी अस्पताल की लाचारी, ना स्ट्रेचर ना एम्बुलेंस ना ही स्टाप,भगवान भरोसे अस्पताल, दिन प्रति बढ़ते लापरवाहियों से हर व्यक्ति परेशान ,बीमारी की अवस्था में रिफर के सिवा नहीं होता सही तरीके से इलाज, फिर क्या फायदा ऐसे इमरजेंसी का जो छोटी या बड़ी किसी बीमारी का नहीं करता सही तरीके से इलाज, बाहरी मेडिकल की कमीशन खोरी और दवा के सप्लाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है ,देवरिया जिलाअस्पताल,में डॉक्टर और फार्मासिस्टो को कमीशन के खेल से फुर्सत नहीं फिर क्या करेंगे इलाज , गरीब मरीज लाचार मरीजों का इलाज के नाम पर जिलाअस्पताल में सिर्फ और सिर्फ शोषण के सिवा कुछ नहीं , वही दवा के नाम पर सिर्फ नार्मल सलाईन ,नार मेट्रोजिल ,और पेनकिलर से चलाते है काम, वही दूसरी तरफ बाकि की दवा बाहरी मेडिकल से मांगा कर कमीशन खोरी से चलाते है काम,लाचार मरीज शिकायत करे भी तो किस्से बड़े साहब सुनते नहीं ,अवगत कराने के बाद भी ये खेल चलता रहता है , कुछ दिन पहले देवरिया के एक प्रावेट हॉस्पिटल में छापा पड़ा था जहा जिलाअस्पताल की कई बोरा दवा और मास्क ,बोतल ,इंजेक्शन ऐसे तमाम दवा पकड़ी गई ,पर कुछ खास कार्यवाही बड़े साहब ने नहीं किया आप लोग भी समझ सकते है।
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