देवरिया टाइम्स
ऊपर बनवारी और नीचे पटवारी की महिमा अपरमपार होती है। देवरिया जिले के रुद्रपुर क्षेत्र के डाला गांव के रहने वाले रामअवध इसकी जिंदा मिशाल बन गए हैं। यमराज की खाताबही में भले उनकी मौत नहीं हुई है, पर राजस्व अभिलेख में पटवारी ने उन्हें मृतक घोषित कर दिया है। वह तीन साल से अपने जिंदा होने का प्रमाण लेकर तहसील का चक्कर काट रहे हैं।

पट्टीदारों ने जमींन हड़पने के लिए राजस्व कर्मचारियों को मिलाकर उन्हें मृत घोषित करा दिया। आरोप है कि दस साल पहले उनके हिस्से की जमींन पर पट्टीदारों ने अपना नाम चढ़वा लिया। वह तीन साल से खुद के जिंदा होने और जमींन पर अपना नाम दोबारा दजे कराने के लिए तहसील का चक्कर काट रहे हैं।
तहसीलदार के न्यायालय में उनके जिंदा या मुर्दा होने का मुकदमा चल रहा है। मुकदमे में तारीख पर तारीख पड़ रही है, पर फैसला नहीं हो पा रहा है। डाला गांव के रहने वाले करीब 80 साल के बुजुर्ग वर्षो पहले कामकाज के चक्कर में यूपी के ललितपुर जिले में गए। उन्होंने वहीं परिवार के साथ सैदपुर गांव में घर बसा लिया।
उन्होंने ललितपुर जिले के सैदपुर गांव में कुछ प्रापर्टी भी बनाई। बकौल रामअवध इस दौरान वह अपने पैत्रिक गांव में आते जाते रहे। पट्टीदारों ने दस साल पहले धोखे से उनके हिस्से की जमीन पर उन्हें मृत घोषित कराकर अपने नाम दर्ज करा लिया।

तीन साल पहले जब इस बात का उन्हें पता चला तो उन्होंने तहसील में केस कर दिया। अब तीन साल से उन्हें हर तारीख पर आधार कार्ड और अन्य कागजात लेकर अपने जिंदा होने का सबूत देना पड़ रहा है। इस बाबत तहसीलदार बंशराज ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है। कोर्ट में गुणदोष के आधार पर पीड़ित को न्याय जरूर मिलेगा।
सोर्स:अमर उजाला
